फ़िल्म चले या न चले लेकिन एक बात तो है की अक्षय कुमार को फ़िल्म जरूर करनी है। वो कहते हैं न की concistency beats talent यानि क्वालिटी क्वानटिटी पर भारी पड़ सकती है। हालांकि 2022 के सितंबर महीने तक अक्षय कुमार की 5 फिल्मे या चुकी हैं लेकिन दर्शकों के बीच एक भी कमाल नहीं दिखा पाई हैं। पहले बच्चन पांडे, सम्राट पृथ्वी राज, रक्षाबंधन और अब कठपुतली देख के तो यही लगता है की अक्षय कुमार को हो क्या गया है? इससे अच्छा तो वो रेस्ट ले ले और बाद में कोई अच्छी फ़िल्म दे दे क्यूंकी इससे तो प्रडूसर के पैसे और अक्षय का समय ही खराब हो रहा है बस। आज हम आपको कथपुतली का रिव्यू देने वाले हैं, दिल थाम के बैठ जाओ क्यूंकी फ़िल्म कथित तौर पे थोड़ी डराओनी भी है। Scroll down to read cutputlli review in hindi.
कठपुतली रिव्यू | Cutputlli Review Hindi
वैसे तो कठपुतली तमिल की हिट फ़िल्म रतासन का हिन्दी में रीमेक है। फ़िल्म तो कलाकारों से भरी है लेकिन किसी ने कला दिखाना सही नहीं समझा आपको अभिनय के बारे में भी बताएंगे ही पहले जानलें की फ़िल्म में कौन कौन थे जिन्होंने के काम करने में मुख्य भूमिका निभाई है। एक्टर्स की बात करें तो अक्षय कुमार, रकुलपरीत सिंह, चंद्रचूर सिंह और सरगुन मेहता हैं। डायरेक्टर हैं रंजीत एम तिवारी जिन्होंने ने अक्षय के साथ बेल बॉटम भी बनाया था। लेखक हैं असीम अरोड़ा। आम तौर पे रीमेक करने में सबसे बड़ी चुनौती होती है की फ़िल्म हु बहु कॉपी न लगे लेकिन कठपुतली वाले ये नहीं कर पाए, फ़िल्म कॉपीड ही लग रही है। कई सीन तो हु बहु उठाया है। इस फ़िल्म को आप डिज़्नी+होटस्टार पर देख सकते हैं।
कठपुतली की कहानी
कहानी तो वही है जो पता है सबको ऐसी कई कहानियाँ बॉलीवुड में पहले से ही मौजूद है। फ़िल्म की शुरुवात होती है लंदन के सुंदर दृश्य से जिसे मेकर्स ने फ़िल्म में कसौली बताया है। फ़िल्म के शुरुवात में ही सीरीअल किलर को लेकर दहशत फैला हुआ है और प्लास्टिक में लिपटी एक लाश भी मिल जाती है। जांच में पुलिस लगी पड़ी है। वही दूसरी तरफ अर्जुन सेठी (अक्षय कुमार) स्वर्गवासी पुलिसवाले का बेटा परिवार के नाम पर अर्जुन के पास एक बहन है, और एक जीजा है। अर्जुन चंडीगढ़ में एक किराये के घर में रहता हैं। अर्जुन वैसे तो एक फ़िल्म डायरेक्टर बनना चाहता थे जिसका थ्रिलर फ़िल्म बनाने का सपना था लेकिन हालत के हत्थे चढ़के और बहन जी के मर्जी से वो पुलिस में भर्ती हो जाता है और कसौल में रहने लगता है। अर्जुन इसी केस पे काम करने लगता है और बैक टू बैक मर्डर मिस्ट्री सॉल्वे करने में लग जाता है। फ़िल्म में मजे के नाम पे यही है की केस पेचीदा है सीधा सीधा नहीं चलती है।
कठपुतली में ऐक्टिंग कैसी है?
फ़िल्म कठपुतली में ऐक्टिंग तो अच्छी करने की कोसिस की गई है। सरगुन मेहता ने अपनी कला से थोड़ा स ऑडियंस को बांधे रखने की कोसिश की है। रकुलप्रीत साइ और चांद्रचूर सिंह ने बस कोसिश ही की है। अक्षय कुमार ने वही किया है जो वो करते हैं। वर्दी में अक्षय कुमार पहले भी दिख चुके हैं इस बार भी दिखे हैं लेकिन उतना ही जच रहे हैं जितना हर बार चचते है। फ़िल्म देखना तो कहानी देखना ऐक्टिंग नहीं। फ़िल्म में कई जगह ओवर ऐक्टिंग भी दिखी है जैसे किसी करीबी के मरने के बाद का रोने का सीन है लेकिन ऐक्टिंग आपको हंसा देगी।
Cutputlli में डायरेक्टर और राइटर का काम?
कठपुतली के डायरेक्टर और लेखक कोई नए बंदे नहीं हैं, दोनों ने 10 साल से ज्यादा का समय इंडस्ट्री में बिताया हुआ है। एक तरफ जहां रंजीत तिवारी ने फरहान अख्तर की लखनऊ सेंट्रल और बेलबाटम जैसी फिल्मों में निर्देशन किया है वही दूसरी ओर असीम अरोड़ा ने भी हीरोज और मलंग जैसी फिल्में लिखी है। डायरेक्टर और राइटर ने लगता है इस फ़िल्म में ज्यादा मेहनत नहीं किया है। वैसे तो फ़िल्म तमिल फिल्म का रीमेक है लेकिन इस फ़िल्म को थोड़ा अलग करना चाहिए था, फ़िल्म में अलग का नाम पे सिर्फ जगह, कपड़े और चेहरे बदले हैं बस। फ़िल्म कई जगह कॉपी ही लगती है। ये फ़िल्म एक साईकोथ्रीलर है लेकिन ऐसी अनेकों फिल्में युटूब पर फ्री में मिल जाएंगी शायद कुछ की कहानी आपको इससे अच्छी भी लग जाए।
कठपुतली फ़िल्म का टेक्निकल रिव्यू
फ़िल्म की कहानी तो धीमी चलती है लेकिन बैकग्राउंड म्यूजिक फ़िल्म में इंटरेसट पैदा करता है लेकिन कुछ देर बाद इन्टरेस्ट खत्म हो जाता है। किलर कौन है इसका अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है लेकिन मेकर्स ने कहानी को गोल गोल घुमाया है जिसमें मज़ा भी नहीं आता। फ़िल्म में कामन्सेन्स का इस्तेमाल नहीं हुआ है और एडिटिंग पक्ष से भी फ़िल्म कमज़ोर लगती है। अगर आपने तमिल की ऑरिजनल फ़िल्म रतासन देखी है तब तो आपको बिल्कुल भी मज़ा नहीं आएगा और अगर नहीं देखी है तो फ़िल्म की कहानी आप पाच सकते हैं। हालांकि अक्षय कुमार ने ये कठपुतली फ़िल्म को ओटीटी पर रिलीज करके अच्छा किया नहीं तो थिएटर खाली रहते।
कठपुतली फ़िल्म को कितने स्टार मिलेंगे ?
इस फिल्म में अभिनय, निर्देशन, लेखन और टेक्निकल पक्ष सभी में कई कमियाँ हैं, इस फिल्म को हम बहुत कोसिस करके 2 स्टार दे रहे हैं।
कठपुतली फिल्म देखें की न देखें?
फिल्म इतनी भी खराब नहीं है, टाइम पास के लिए एक अच्छा ऑप्शन है लेकिन ज्यादा मज़ा नहीं आएगा। फिल्म में कोई ऐसी खासियत भी नहीं है जिसे देखकर हम कह पाएँ की ये फिल्म देख ही लो। तो हमारी राय है की रहने ही दो कोई ढंग की चीज देख लो जैसे की यूट्यूब पे कोई कॉमेडी विडिओ में आपको ज्यादा मज़ा आएगा।
तो ये थी फिल्म कठपुतली का रिव्यू, आपकी क्या राय है कमेन्ट करके बताएं। ऐसी ही और खबर पढ़ने के लिए हमारी वेबसाईट देखें और हुमसे जुड़े रहने के लिए सोशल मीडिया पर हमें फॉलो करें – फेस्बूक | ट्विटर | इंस्टाग्राम और विडिओस लिए हमारा यूट्यूब चैनल सबस्क्राइब करलो। हम हैं खबरज़ादे हमारा अंदाज़ निराला है।